The Committee on Allowances, headed by Finance Secretary
Ashok Lavasa has submitted its report on Housing Rent Allowance (HRA) to the
government, reports NDTV. The submission of report further paves the way for
government to implement the hike in allowances as per the revised
recommendations of 7th Pay Commission. The date of allowance hike is expected
to be April 1. Centre is expected to make the announcement after the five-state
elections conclude on March 8.
The 7th Pay Commission had recommended that HRA
should be paid at the rate of 24 per cent, 16 per cent and 8 per cent of
the new Basic Pay, depending on the type of cities while unions demanded
HRA at 30, 20 and 10 per cent. While employee union believes that if the
government can’t raise the HRA then it can also not decrease it. The government
is expected to announce its decision post-March 8, after elections of five
states are over. With this the central government will not violate the model
code of conduct.
The government has divided transport allowance into two
parts, one being CCA and the other one is TA. It is believed that this might be
separated from DA and might be set on a fix slab. It is being said that
employee demand has been accepted and the committee has agreed to pay HRA
according to the sixth pay commission.
Ashok Lava’s committee had in October last year stated that
his team was ready with its report. As per now, the central government
employees are paid allowances according to the 6th Pay Commission
recommendations until issuing of higher allowances notification. In October
2016, Ashok Lavasa had said, “We are ready to submit our report, whenever
Finance Minister Arun Jaitley calls up”.
HRA will benefit 48 lakh employees of central
government, and will also be helpful for pensioners. If the suggestions of the
pay commission are approved, then the basic pay will increase along with
allowances. The 7th pay commission had suggested for stopping 51 allowances and
merging 37 others out of 196 allowances.
Hindi Version
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के कई मुद्दों के लेकर उठे विवादों में कर्मचारियों ने एचआरए की दर पर भी आपत्ति जताई थी. सरकार ने तमाम मुद्दों पर बातचीत के लिए तीन समितियों को गठन किया था जिनको कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए अधिकृत किया गया था. इन
समितियों में एक समिति वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व में बनाई गई थी.
इसी समिति के पास अलाउंस का मुद्दा भी था. महीने की 22 तारीख को इस समिति की अंतिम बैठक हुई थी जिसमें कर्मचारियों से अंतिम बार अलाउंस के मुद्दे पर चर्चा पूरी की गई थी. अलाउंस समिति से बातचीत करने के लिए कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
7th Pay Commission – सूत्र बता रहे हैं कि समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है. अब यह रिपोर्ट कैबिनेट की बैठक में रखी जाएगी. हालांकि रिपोर्ट के तथ्य अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं. लेकिन यह कहा जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग पर सकारात्मक रुख अपनाया है. यह भी साफ माना जा रहा है कि सरकार इस बारे में अपना फैसला 8 मार्च के बाद घोषित करेगी क्योंकि इस दिन देश में पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान होगा.
माना जा रहा है कि सरकार ने ट्रांस्पोर्ट अलाउंस (यात्रा भत्ता) को दो भागों में बांटा है. एक सीसीए और दूसरा पूर्ववत की तरह दिया जाने वाला टीए है. यह पांचवें वेतन आयोग की भांति देय होगा, ऐसा माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है
कि इनको डीए से अलग कर दिया जाएगा और यह फिक्स स्लैब रेट पर तय होगा.
यह कहा जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग को मानते हुए एचआरए की दर को छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से देने की बात को स्वीकार कर लिया है. दूसरा सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने एचआरए को कब से देने की बात को स्वीकार किया है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. क्या यह दर
1.1.16 से लागू की गई है या फिर 1.4.17 से यह लागू होगी. जहां तक कर्मचारियों का सवाल है वह इसे पिछले साल जनवरी से लागू करवाने की मांग करते रहे हैं और सरकार की ओर से कुछ समय पहले ऐसा इशारा मिला था कि सभी विवादित अलाउंस को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया जाएगा.
इस संबंध में जीसीएम के सचिव और कर्मचारी नेता राघवैया ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं उसके हिसाब से सभी भत्ते जिनमें विवाद था और जिनपर सरकार से चर्चा हुई यह 1 जनवरी 2016 की बजाय 1 अप्रैल 2017 से लागू हो सकते हैं. इससे यह साफ है कि कर्मचारियों को मलाल होगा कि उन्हें जो बढ़े हुए भत्ते का एरियर मिलना चाहिए वह अब नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि 22 फरवरी को सभी अलाउंस को लेकर सरकार से अंतिम बार बातचीत हुई थी और कर्मचारियों की ओर से साफ कर दिया गया था कि एचआरए 30,
20, 10 के अनुपात में दिया जाना चाहिए. यह भी बात साफ है कि अलाउंस समिति ने सभी अलाउंसेस पर कर्मचारी नेताओं से बातचीत कर ली है.
जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों की मांग है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए या फिर इसकी दर बढ़ाई जाए. केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में तय फॉर्मूला के हिसाब से एचआरए कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम मिलने लगा है.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग (7th
Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th
Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं. अब जब अशोक लवासा समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और जल्द ही वित्तमंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट पर कोई अंतिम फैसला सरकार की ओर से ले लेंगे.
कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी एचआरए को 1 स्तर ऊपर करने को तैयार हुए हैं अब एचआरए 30%,
20% और 10% तक हो सकता है. वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि बड़े शहरों में इसे 30 प्रतिशत किया जा सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है.
कर्मचारी संगठन का कहना रहा है कि अगर सरकार ने एचआरए बढ़ाया नहीं है तो घटा कैसे सकती हैं. अपने तर्क के समर्थन में कर्मचारियं की दलील है कि क्या शहरों में मकान का किराया कम हुआ है. क्या मकान सस्ते हो गए हैं. जब यह नहीं हुआ है तो सरकार अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कैसे कर सकती है.
बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%,
16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%,
18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%,
20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए ने गठित वेतन आयोग के समक्ष अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन में इस दर को क्रमश: 60%,
40% और 20% करने के लिए कहा था. संगठन का आरोप है कि आयोग ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह से ठुकरा दिया था. उनका कहना है कि वेतन आयोग ने इस रेट को छठे वेतन आयोग से भी कम कर दिया है. इनका कहना है कि क्योंकि इसे डीए के साथ जोड़ा गया है तो यह तभी बढ़ेगा जब डीए की दर तय प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.
जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों की कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना था लेकिन अभी तक सात महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और अभी तक किसी भी समिति ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है.
Source: NDTV