नई दिल्ली: 7वें वेतन आयोग (पे कमिशन) नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने लागू कर दिया गया है। मोदी मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित एक फैसला लिया और इन सिफारिशों से 1 करोड़ से भी ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर लाभान्वित होंगे। इनमें 47 लाख से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और 53 लाख पेंशनभोगी शामिल हैं, जिनमें से 14 लाख कर्मचारी और 18 लाख पेंशनभोगी रक्षा बलों से संबंधित हैं। इस वेतन आयोग की रिपोर्ट को 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया। जिस कर्मचारी का जितना एरियर बनता है सरकार वह देगी। वेतन आयोग पर अभी क्या है स्थिति? रिपोर्ट के लागू होने के बाद करीब 33 लाख कर्मचारियों ने नाखुशी जाहिर करते हुए हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था, जो अब 4 महीने के लिए टल गई है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वह रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत नहीं हैं और सरकार के पास न्यूनतम वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी से संबंधित दो मांगें रखी हैं। गतिरोध दूर हुआ? बातचीत अभी जारी है दोनों ओर से कुछ झुकने के संकेत मिल रहे हैं। सरकार की ओर से न्यूनतम वेतनमान 22-23 हजार रुपये करने की बात कही है, लेकिन कर्मचारी संगठन इस पर तैयार नहीं है... बातचीत अभी जारी है। इस बीच लोग अभी भी रिपोर्ट में दी हुई बातों को लेकर असमंजस में हैं और उन्हें कुछ मुद्दे साफ नहीं है। अगर सरकार की सिफारिशों और वर्तमान सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को देखा जाए तो कुछ बातें इस प्रकार हैं... वेतन और भत्तों में कितनी हुई बढ़ोतरी? वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बेसिक सैलरी और भत्तों में जो बढ़ोतरी हुई है वह कुछ इस प्रकार है। बेसिक सैलरी में वृद्धि - 16 प्रतिशत भत्तों में बढ़ोतरी - 63 फीसदी सैलरी और भत्तों को मिलाकर कुल बढ़ोतरी - 23.55 प्रतिशत जहां तक भत्तों की बात है तो कर्मचारियों को सबसे बड़ी खुशखबरी यह है कि एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस से मिली है। सरकार ने एचआरए में करीब 139 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। आयोग ने कुल मिलाकर 196 वर्तमान भत्तों पर गौर किया और इन्हें तर्कसंगत बनाने के उद्देश्य से 51 भत्तों को समाप्त करने और 37 भत्तों को समाहित करने की सिफारिश की है जिसे सरकार ने मान लिया है। पेंशनभोगियों के लिए क्या किया वेतन आयोग ने? वेतन आयोग की रिपोर्ट और सरकार के फैसले के बाद पेंशनभोगियों के खाते में पहले की तुलना में 24 फीसदी रकम ज्यादा आएगी। न्यूनतम और अधिकतम वेतनमान सरकार ने कितना किया था फिक्स? सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिश और सुझाव को मानते हुए यह नीतिगत फैसला लिया है कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन तय होगा। वर्तमान तय दर के अनुसार यह इस प्रकार है - न्यूनतम वेतनमान - 18000 रुपये महीना कर्मचारियों के लिए अधिकतम सैलरी - 2.25 लाख रुपये महीना कैबिनेट सचिवों के लिए - 2.5 लाख रुपये महीना न्यूनतम वेतन को 7000 रुपये से बढ़ाकर 18000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। न्यूनतम स्तर पर किसी भी नवनियुक्त कर्मचारी का शुरुआती वेतन अब 18000 रुपये होगा। इसे ही 26 हजार रुपये प्रतिमाह पर ले जाने की बात कर्मचारी संगठन कर रहे हैं। क्लास वन अधिकारी का न्यूनतम वेतनमान कितना है? उधर, नवनियुक्त ‘क्लास-1’ अधिकारी का शुरुआती वेतन 56100 रुपये होगा। यह 1:3.12 के संकुचन अनुपात को दर्शाता है, जिससे यह पता चलता है कि सीधी भर्ती वाले किसी भी ‘क्लास I’ अधिकारी का वेतन न्यूनतम स्तर पर नवनियुक्त कर्मचारी के वेतन से तीन गुना अधिक होगा। हेल्थ इंश्योरेंस स्कीममें कुछ बदलाव हुआ है? हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम को सरकार ने वेतन आयोग के सुझावों के विपरीत स्वीकार किया है। यह योजना पूर्व की भांति यथावत रहेगी। कैबिनेट ने केंद्र सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना (सीजीईजीआईएस) में किए जाने वाले मासिक अंशदान में भारी वृद्धि करने की सिफारिश को भी न मानने का निर्णय लिया है, जैसी कि आयोग ने सिफारिश की थी। सालाना इंक्रीमेंट कितना होगा? सरकार ने साफ किया है कि कर्मचारियों को सालाना 3 प्रतिशत की दर से इंक्रीमेंट दिया जाता रहेगा। मिलिट्री सर्विस पेक्या बदलाव हुआ है? सेना से जुड़े कर्माचारियों के लिए यह बड़ी खबर है। सरकार ने मिलिट्री सर्विस पे को 15500 रुपये प्रतिमाह तय कर दिया है। वेतन आयोग पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें वेतन आयोग सिफारिशों के लागू करने पर सरकारी खजाने पर करीब 1.02 लाख करोड़ रुपये का सालाना बोझ आएगा, जिसमें 28,450 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ रेलवे बजट और बाकी 73,650 करोड़ रुपये आम बजट पर जाएगा। वेतन आयोग ने जो वेतन वृद्धि की सिफारिश की है वह पिछले सात दशक में सबसे कम है। लेकिन यह भारत की कुल सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत है। बता दें कि सरकार हर दस साल में अपने कर्मचारियों के वेतन वृद्धि के लिए आयोग का गठन करती है जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर फैसला लेती है। 7वें वेतन आयोग (पे कमिशन) के ऐलान के बाद केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के विरोध का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। 11 जुलाई को हड़ताल के ऐलान के बाद दबाव में आई केन्द्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की मांगों पर उनके साथ बातचीत शुरू कर दी है।